किसी शायरने मौत को क्या खुब कहा है;
जिंदगी मे २ मिनट कोई मेरे पास ना बैठा.?
आज सब मेरे पास बैठे जा रहे थे...!
कोई तौफा ना मिला आज तक.?
और आज
फुल-हि-फुल दिये जा रहे थे...!
तरस गये थे हम किसी एक हाथ के लिये.?
और आज कंधे पे कंधे दिये जा रहे थे...!
दो कदम साथ चलने को तैयार न था कोई.?
और आज काफिला बन साथ चले जा रहे थे...!
आज पता चला मुझे कि "मौत"
कितनी हसिन होती है.?
कम्बख्त.....
हम तो युहि 'जिंदगी' जिये जा रहे थे.....?
जिंदगी मे २ मिनट कोई मेरे पास ना बैठा.?
आज सब मेरे पास बैठे जा रहे थे...!
कोई तौफा ना मिला आज तक.?
और आज
फुल-हि-फुल दिये जा रहे थे...!
तरस गये थे हम किसी एक हाथ के लिये.?
और आज कंधे पे कंधे दिये जा रहे थे...!
दो कदम साथ चलने को तैयार न था कोई.?
और आज काफिला बन साथ चले जा रहे थे...!
आज पता चला मुझे कि "मौत"
कितनी हसिन होती है.?
कम्बख्त.....
हम तो युहि 'जिंदगी' जिये जा रहे थे.....?
No comments:
Post a Comment